संसार रूपी बंदी गृह से हमें मुक्त कराने के लिए लेते हैं भगवान अवतार - पंडित रामानंद शास्त्री
- सर्वेश यादव, ब्यूरो चीफ वाराणसी
- Oct 18, 2019
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रोहनिया ।। अखरी में भगवती माता प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन पंडित रामानंद शास्त्री ने कहां कि संसार में दो तरह के लोग होते हैं एक आस्तिक तो दूसरा नास्तिक। आशिक पूरे संसार में लोगों को ईश्वर का दर्शन कराता है तथा नास्तिक ईश्वर की कोई सत्ता को स्वीकार नहीं करता। ऐसे में जब अफसरों की संख्या बढ़ जाती है तो चारों तरफ पृथ्वी पाप से लग जाती है और जगह-जगह धर्म का विरोध तथा गाय व संतों को कष्ट दिया जाने लगता है। तब पापियों की संघार के लिए भगवान का अवतार होता है। भगवान के प्रमुख 24 अवतार बताए गए हैं। भगवत पुराण के दशम स्कंध में भगवान के 22वें अवतार योगेश्वर भगवान कृष्ण की लीला का वर्णन विस्तार रूप से किया गया है। राष्ट्र के अनायत भक्तजन सुखदायक लीला पुरुषोत्तम भगवान का प्राकट्य मथुरा में कंस के बंदी गृह में हुआ। क्योंकि संसार में जितने बंदी है उनको बंदी गृह से छुड़ाना है। इसलिए बंदी गृह में वास्तव में देखा जाए तो हम लोग संसार के इस बंदी गृह में बंद है जिससे हम बंदियों को बंदी से मुक्त कराने के लिए भगवान का अवतार हुआ।
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