कर्मदेश्वर महादेव प्राचीन मंदिर से भी पुरानी शिवलिंग मिली बभनियाव गाँव के टीले पर खुदाई के दौरान लिखी हुई ब्राम्ही लिपि से

वाराणसी से संवाददाता त्रिपुरारी यादव कि रिपोर्ट 

वाराणसी, रोहनिया ।। प्रधानमंत्री की संसदीय क्षेत्र के बभनियाव गांव में प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय की टीम गांव में पुराण में लिखे हुए पंचकोशी का महत्व उल्लेख उद्देश्य प्रमुख स्थल का खुदाई कर जानकारी लेने का कार्य विगत कई माह से जारी है।प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीजी फाइनल के छात्र-छात्राओं का एक दल उत्तर उत्खनन स्थल पहुंच पाषाण काल ताम्र पाषाण काल ब्राह्मी लिपि इत्यादि की जानकारी उत्खनन स्थल के डायरेक्टर डॉ अशोक कुमार सिंह ओंकार नाथ सिंह विभागाध्यक्ष ओएन सिंह से जानकारी प्राप्त की। पीजी फाइनल के छात्र छात्राओं को जानकारी देते हुए डॉक्टर सचिन कुमार तिवारी असिस्टेंट प्रोफेसर प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग बीएचयू ने बताया कि हनुमान जी की मूर्ति आठवीं शताब्दी की है और पार्वती गंगा अवतरण व महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति 10वीं और 11वीं शताब्दी की है जो कैमूर श्रृंखला के पत्थर से बनी हुई है। जानकारी देते हुए उत्खनन स्थल के डायरेक्टर डॉ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि आज जो बच्चे काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आए हुए हैं वह पीजी फाइनल व एमए फाइनल के छात्र-छात्राएं हैं जिनके पाठ्यक्रम का हिस्सा उत्खनन स्थल है पुरातत्व के बारे में जानने के लिए बच्चे आए हुए हैं जिनको सेमस ड्राइंग,प्लान ड्राइंग के बारे में समझाया गया और उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि हम लोगों को पंचकोसी परिक्रमा पर प्रोजेक्ट मिला था सर्वेक्षण का पुराण में पंचकोशी का महत्व उल्लेख है इसी के उद्देश्य प्रमुख स्थल कौन-कौन है की जानकारी जब ली गई तो उसमें बभनियाव का भी नाम था इस आशय से उक्त गांव में उत्खनन का कार्य शुरू किया गया। जिसमें पत्थर अभिलेख पाषाण कालीन 2000 सौ साल पहले की पाई गई पाषाण कालीन लिपि में कुछ चीजें लिखी हुई मिली लिपि कर्ताओं से जब पढ़ाया गया तो ज्ञात हुआ कि गांव के मुखिया ने एक शिवलिंग को स्थापित किया था इस गांव के पुनरावृद्धि के लिए लिपि में लिखा हुआ मुखिया का नाम टूट जाने के कारण स्पष्ट नहीं हो पाई वही इतने पुराने शिवलिंग स्थापित करने व पाषाण कालीन बर्तन मिलने से सेटेलाइट के जरिए यह जानकारी हुई कि अगर यहां पानी नहीं होता तो पाषाण काल में लोग कैसे हैं रहे होते सेटेलाइट इमैजिनरी को देखा गया तो पता चला कि मिट्टी का मिला हुआ बर्तन 35 सौ साल पुराना है आवासी बस्ती ताम्र पाषाण काल में बिना पानी के कोई बसावट संभव नहीं था इससे यह सैटेलाइट इमैजिनरी से यह जानकारी प्राप्त हुआ कि यहां 35 सौ साल पूर्व गंगा की एक धारा बहती थी जो अब घनी बस्ती होने के कारण यहां से 4 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में बह रही है। छात्र-छात्राओं के दल में प्रीतम कुमार विवेक सिंह विशाल कुमार रवि रंजन शिवम मौर्य श्याम कुमार सत्यम पूनम साहनी श्रेया शर्मा प्रिया तिवारी रेशमी सिंह सहित 36 छात्र छात्राएं उत्खनन स्थल पर जानकारियां प्राप्त की उत्खनन स्थल के डायरेक्टर डॉ अशोक कुमार सिंह सहित डायरेक्टर पवन सिंह सहायक डॉ दीपक कुमार राय रविशंकर संदीप कुमार सिंह डॉ प्राची सोन टक्के उमेश कुमार सिंह डॉक्टर जोश राफेल डॉक्टर सचिन कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर बीएचयू उपस्थित रहे।

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