23 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद न्याय की आशा में शिक्षाकर्मी उत्थान समिति पहुंची उच्च न्यायालय

तलेन ।। मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में 1998 से कार्यरत जो कि कभी शिक्षाकर्मी तो कभी अध्यापक तो कभी शिक्षक के नाम से पदांकित रहते हुए लगातार 23 वर्ष से आर्थिक शोषण का शिकार होते रहे और जब इन्ही में से किसी की पेंशन होती है तो नाममात्र की 500 रूपये से 1500 रूपये की पेंशन प्राप्त होती है इस अन्याय से प्रदेश सरकार सहित सभी प्रमुख अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर न्याय हेतु पुरानी पेंशन जिसमें अंतिम वेतन का 50% मूलवेतन +डीए देने हेतु आग्रह किया गया था जिसके जवाब में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा आवेदन अमान्य कर दिया इसलिए अब लगभग 60000 ऐसे शिक्षकों में से अलग अलग 10000 शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दर्ज की इसमें से शिक्षाकर्मी उत्थान समिति के साथ जुड़े 3742 साथी जिनके योगदान से पुरानी पेंशन प्राप्ति और विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से 24/04/2021 को दर्ज याचिका 8946/2021 की 9 जून 2021 को प्रथम सफलतम सुनवाई हुई जिसमें देश के ख्याति प्राप्त अधिवक्ता माननीय सलमान जी खुर्शीद,  नलिन जी कोहली, श्री विक्रमादित्य जी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं‌ जबलपुर उच्च न्यायालय के युवा अधिवक्ता अर्जुनसिंह जी ने शिक्षाकर्मी से भर्ती 1998 से लेकर 2018 तक जो शिक्षा विभाग में सेवा दी उनको फिर से 2018 में शिक्षा विभाग में नियुक्ति प्रदान कर पूर्व वर्षो की सेवा के लाभ से वंचित कर दिया के संबंध में पक्ष रखा और माननीय चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक साहब व माननीय Sujoy Paul judge की डबल बेंच में सुनवाई हुई जिसमें इस प्रकरण को महत्त्व देते हुए सरकार को 5 जुलाई तक का समय दिया और अगली सुनवाई हेतु 5 जुलाई 2021 निर्धारित की,  शिक्षाकर्मी उत्थान समिति द्वारा 3742 सदस्यों ने पुरानी पेंशन प्राप्ति के लिए एवं विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के लिए इस याचिका से एक पथ तैयार हुआ है जिससे शीघ्र ही पुरानी पेंशन प्राप्त होने के आदेश माननीय उच्च न्यायालय से मिलने की आशा लगाए हैं ।

इसी उद्देश्य को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय के क्षैत्र की 3 याचिका की प्रथम motion hearing 14/06/2021 को एवं 2 याचिका की सुनवाई 15/06/2021 को हुई जिसका पक्ष माननीय विवेक जी तन्खा, वरूण जी तन्खा एवं राहुल गुप्ता द्वारा रखा गया इन पांचों याचिकाओं को जिसमें लगभग 2700 शिक्षाकर्मी सम्मिलित हैं को शिक्षाकर्मी उत्थान समिति की याचिका से लिंकअप कर अगली सुनवाई 5 जुलाई निर्धारित की गई । 

इस संबंध में यह बताना आवश्यक है कि शिक्षाकर्मी से भर्ती वाले ये शिक्षक शासकीय विद्यालयों में 1998 से नियुक्त है और इनके लिए न्यू पेंशन स्कीम 2011 में प्रारम्भ की इसी कारण सेवानिवृत्ति के उपरांत नाममात्र की पेंशन 500 से 1500 रूपये में अपने परिवार का आर्थिक तंगी में नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं, इन परिस्थितियों के चलते इस समय कर्मचारियों के मध्य सबसे अधिक पुरानी पेंशन बहाली हेतु आक्रोश चल रहा है ।

उपरोक्त जानकारी शिक्षाकर्मी उत्थान समिति के प्रांत सचिव श्री प्रमोदसिंह पवांर द्वारा बताई गई  कि माननीय उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस के समक्ष डबल बेंच में प्रकरण न्यायालयीन प्रक्रिया में है और 100% न्याय की उम्मीद है साथ में शीघ्र ही प्रतिनिधि मंडल माननीय मुख्यमंत्री को भी इन परिस्थितियों से अवगत करायेगा ताकि मध्यप्रदेश में विद्यार्थियों का भविष्य निर्माण में लगे 60,000 शिक्षाकर्मियों के पद से भर्ती वर्तमान में शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों के अंधकारमय भविष्य को दूर कर पुरानी पेंशन प्रदाय करने एवं विभिन्न विसंगतियों को दूर करने का ठोस निर्णय लिया जा सकें, वास्तव में यह पेंशन अधिनियम 1976 एवं शासकीय कर्मचारियों के सेवा के परिणामस्वरूप 1998 से कार्यरत शिक्षकों का अधिकार भी है ।

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