सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भिवंडी मनपा के कर्मचारी न्याय खातिर दर दर भटकने पर हुए मजबूर

भिवंडी।। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय देने तथा मनपा प्रशासन की दायर पुनः याचिका को रद्द करने के बावजूद लगभग डेढ़ महीने से कर्मचारियों को न्याय नहीं मिला। जिसके लिए कर्मचारियों को लगभग 20 वर्षों से न्याय पाने के लिए दर दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
 
भिवंडी मनपा अंर्तगत वर्ष 2001 के दरमियान बदली वाहन चालक के रुप में काम करने वाले 10 कर्मचारियों को मनपा प्रशासन ने काम से निकाल दिया था.जिसके कारण कर्मचारियों ने न्याय पाने के खातिर न्यायालय का दरवाजा खट खटकाया. मजदूर न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मनपा प्रशासन ने काई कर्मचारियों से पुनः  सेवा में ले लिया था। किन्तु विनोद पांडुरंग पाटिल,सुगेश शांताराम दिवेकर ,जितेंद्र विठ्ठल काबाडी तीन कर्मचारियों को न्याय नहीं मिला जिसके कारण तीनों ने मजदूर न्यायालय में मनपा प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया. वर्ष 2019 में न्यायालय ने मजदूरों के पक्ष में निर्णय देते हुए प्रत्येक को तीन लाख नुकसान भरपाई तथा वर्ष 2001 से पुनः सेवा में लेने के लिए मनपा प्रशासन को आदेश दिया था। जिसके खिलाफ मनपा प्रशासन ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखल की.किन्तु वहां पर भी मजदूरों के पक्ष में निर्णय हुआ।

वही पर मनपा प्रशासन ने न्यायालय के सुनवाई के दरमियान अवहाल सादर किया कि कर्मचारियों को 3 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती तथा उन्हे वर्ष 2010 से पुनः सेवा में लिया जायेगा.इस प्रकार का तत्कालीन अवहाल मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था.इस बीच, उनके तबादले के बाद आयुक्त डॉ.पंकज आशिया ने बाद में न्यायालय के समझौते को खारिज कर दिया और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया। वर्ष 2001से न्याय की प्रतिक्षा कर रहे कर्मचारियों के परिजन आर्थिक तंगी से गुजारा करने के लिए मजबूर है किन्तु मनपा प्रशासन ने उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में लाखों रुपये खर्च कर अवहाल प्रस्तुत कर रही है। जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने 04 जुलाई को मनपा प्रशासन द्वारा दायर पुनः याचिका को खारिज करते हुए कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिया। किन्तु डेढ़ महीने के समय बीत जाने के बाद भी कर्मचारी न्याय के लिए दर दर भटकने के लिए मजबूर है तथा कर्मचारियों को पुनः काम पर नहीं ‌लेने से कर्मचारियों में मनपा प्रशासन के प्रति नाराज़गी व्यक्त की है।

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