चुनाव बनता जा रहा है मात्र जेब भरने का जरिया नेताओं का नहीं है आम जनता से कोई सरोकार

तलेन ।। हमारे चुनावी लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि बुनियादी मुद्दों की चुनावों में कोई चर्चा ही नहीं होती। क्योंकि चुनाव राष्ट्र को सशक्त बनाने का नहीं बल्कि अपनी जेबें भरने का जरिया बन गया है। कई दावेदारो का कहना है कि अब नहीं तो कभी नहीं।''सत्ता का सिंहासन को छूने के लिए सबके हाथों में खुजली आ रही है। उन्हें केवल चुनाव जीतने की चिन्ता है,आम जनता की नहीं। नगर तलेन की स्थिति से तो आप सभी परिचित होंगे, यह  पर नगर का विकास कम नेताओं को ज्यादा विकास हुआ है।नगर के कई ऐसे मुद्दे हैं  इन मुद्दों से शायद नेताओं का कोई लेना देना नहीं है चाहे वो नगर के लोगों से टोल टैक्स  पर अवैध वसूली का हो, या स्वास्थ्य व शिक्षा संबंधी व्यवस्थाओं का हो, या फिर नल जल योजना का ?

नगर के वार्डों में करोड रुपए का रोड निर्माण का हुआ लेकिन रोड निर्माण करने वाले  ठेकेदारों  ने सही ढंग से नाली निर्माण कार्य करना उचित नहीं समझा। नगर में ऐसे कहीं वार्ड है जिनमें अभी तक रोड बन जाने के बाद भी नाली निर्माण का कार्य नहीं हुआ। इसकी जिम्मेदारी भी किसकी, प्रशासनिक अधिकारियों की,या  नेताओं की ,भुगतना तो आम जनता को ही पड़ेगा ना । नगर के विकास के नाम पर जो धांधलियां  हुई  हैं, उसके जिम्मेदार कौन है? क्या कोई उन्हें सुधारने की समयबद्ध योजना की बात करता है? क्या चुनाव में प्रबल दावेदार द्वारा इन मुद्दों पर चर्चा की जाती है क्या ?

दावेदार मतदाताओं के मत को पाने के लिए पवित्र प्रयास की सीमा लाघने से भी नही हिचकिचाते ऐसे समय में मतदाताओं की जागरूकता व विवेक ही प्रभावी भूमिका अदा कर सकता है।

रिपोर्टर

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