नोटबन्दी के असर से अभी तक परेशान है साधू समुदाय

प्रयागराज ।। स्वर्ण आभूषणों से खासा लगाव रखने वाले जूना अखाड़े के महंत गोल्डन बाबा अब कुंभ में अपनी चमक बिखेरने के लिए प्रयागराज पहुंच चुके हैं। शरीर पर बीस किलो सोना पहनने वाले गोल्डेन बाबा कुम्भ मेले में लोगों के आकर्षण का भी केन्द्र बने रहते हैं। लेकिन गोल्डन बाबा ने कहा कि इस बार कुंभ में नोटबंदी का भी  असर रहेगा। जिसके चलते कुम्भ मेले में शिविर लगाना मुश्किल हो रहा है। हांलाकि उन्होंने कहा है कि अगर कोई भक्त सहायता करेगा तो पंडाल जरुर सजेगा।  

नोटबंदी हुए दो साल का वक्त बीत गया है । लेकिन कुम्भ के आयोजन में नोट बंदी का असर होने का दावा हरिद्वार के बहुचर्चित गोल्डन बाबा कर रहे हैं। उनका कहना है कि 2016 में हुई नोटबंदी की वजह से वह कुम्भ में ने अपना शिविर नहीं लगा पायेंगे। क्योंकि कुम्भ में शिविर लगाने के लिए दो से ढाई करोड़ रुपयों की जरुरत पड़ेगी। गोल्डन बाबा का कहना है कि शिविर लगाने के लिए टेंट के लिए ही 20 से 25 लाख रुपये देने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद उन्हें आश्रम का खर्च चलाने के लिए कई दुकानें और सम्पत्तियां बेचनी पड़ी हैं।

गोल्डन बाबा ने कहा कि उनके पास कैश भी अब लगभग खत्म हो चुका है। हांलाकि कुछ दुकानें किराये पर चल रही हैं जिसकी आमदनी से आश्रम का खर्च अभी भी चल रहा है। लेकिन ये धनराशि शिविर लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा है कि कोई भक्त अगर मदद करेगा तो पिछले बार से भी बड़ा टेंट लगा सकता हूं। गोल्डन बाबा ने कहा है कि प्रयागराज में किराये पर कोई मकान या कोठी तलाश रहा हूं। जहां पर गद्दी लगाकर बैठ सकूं और भक्त भी वहां पर आ सकें। हांलाकि नोट बंदी का असर बताने के वाले गोल्डन बाबा के शरीर पर ही करीब बीस किलो सोना है। उनके मुताबिक मेरे गले में उन देवी देवताओं की मूर्तियां हैं जिनकी मैं पूजा करता हूं।

गोल्डेन बाबा का कहना है कि मेरे आराध्य सोने में खुश रहते हैं। इसलिये सोना पहनता हूं। गोल्डेन बाबा ने कहा है कि 1972-73 से सोना पहन रहा हूं पहले कम पहनता था और आज ज्यादा पहन रहा हूं। गोल्डेन बाबा मंहगी घड़ियों के भी शौकीन हैं नोट बंदी का असर बताने वाले बाबा ने अपनी कलाई पर रोलेक्स कंपनी की 22 से 23 लाख की डायमंड की घड़ी भी पहन रखी है। बाबा को मंहगी और लक्जरी गाड़ियों का भी शौक है। हम आपको बता दें कि गोल्डेन बाबा का असली नाम सुधीर माकड़ है और जूना अखाड़े में महंत बनने से पहले दिल्ली के बड़े कारोबारी थे। बाबा को बचपन से ही सोना पसंद है। बाबा जब व्यापारी थे ।तब ही उन्होंने काफी सोना खरीदा था।


  

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