
भिवंडी के वारालदेवी तालाब में फैला हरा कचरा और दुर्गंध, स्थानीय नागरिक परेशान
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jan 31, 2025
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भिवंडी। भिवंडी शहर के ऐतिहासिक और प्रमुख वारालदेवी तालाब, जो लाखों नागरिकों को पीने का पानी उपलब्ध कराता है, में हरे कचरे (शैवाल) की मोटी परत और दुर्गंध फैल गई है। इस समस्या के कारण स्थानीय निवासियों और तालाब के पास जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कामतघर ग्रामवासियों की ओर से इस समस्या को लेकर कई बार पालिका प्रशासन को शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। इससे नाराज ग्रामवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर तालाब की सफाई और पानी शुद्धीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, तो वे इस तालाब का प्रबंधन अपने हाथ में ले लेंगे। यह चेतावनी पूर्व उपमहापौर मनोज काटेकर ने दी है।
गणेश और दुर्गा मूर्ति विसर्जन बना प्रदूषण का कारण ::::
तालाब के पास स्थित वारालदेवी मंदिर के कारण यह तालाब श्रद्धालुओं के लिए भी पवित्र है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यहां गणेश और दुर्गा मूर्ति विसर्जन के चलते हरे कचरे और जल प्रदूषण की समस्या बढ़ गई है। इसके अलावा, फेणे पाड़ा, फेणेगांव, शिवाजीनगर और मानसरोवर जैसे क्षेत्रों का गंदा पानी भी इस तालाब में छोड़ा जा रहा है, जिससे स्थिति और खराब हो गई है।
नागरिकों की सेहत पर खतरा :::
तालाब का पानी रोजाना 5 एमएलटी (मिलियन लीटर प्रति दिन) मात्रा में शहर के पुराने क्षेत्रों में पेयजल के रूप में आपूर्ति किया जाता है। हालांकि, पानी की शुद्धता को लेकर पालिका की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे नागरिकों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है।
भिवंडी पालिका आयुक्त अजय वैद्य ने बताया कि तालाब की सफाई और जल शुद्धीकरण के लिए विशेषज्ञों की मदद से योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में गणेश और दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाब का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने वाराल तालाब के स्वच्छता और सौंदर्यीकरण के लिए 54 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। आयुक्त ने विश्वास दिलाया कि जल्द शुरू होने वाले इस प्रोजेक्ट के बाद तालाब और इसके आसपास के क्षेत्र का पूरी तरह से कायापलट होगा। ग्रामवासियों ने प्रशासन से जल्द से जल्द तालाब की सफाई और सुधार कार्य शुरू करने की अपील की है, ताकि तालाब का धार्मिक, पर्यावरणीय और नागरिक महत्व बरकरार रखा जा सके।
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