भिवंडी महानगर पालिका में अवैध इमारतों का साम्राज्य !

उच्च न्यायालय के आदेश की उड़ रही धज्जियां, प्रशासन की संदिग्ध भूमिका पर उठे सवाल

भिवंडी। भिवंडी- निजामपुर शहर महानगर पालिका में अवैध इमारतों के निर्माण का गोरखधंधा जोरों पर है। एक ओर जहां मुंबई उच्च न्यायालय अवैध निर्माणों पर सख्त रुख अपनाए हुए है, वहीं दूसरी ओर पालिका के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डरों और भू-माफियाओं को खुली छूट मिल रही है। सूत्रों के अनुसार, शहर के विभिन्न प्रभागों में करीब 150 से अधिक अवैध इमारतों का निर्माण तेजी से जारी है।

सूत्रों की मानें तो, पालिका के सहायक आयुक्त, बीट निरीक्षक और अतिक्रमण विभाग के अधिकारी बिल्डरों से सांठगांठ कर इन अवैध इमारतों को संरक्षण दे रहे हैं। पालिका आयुक्त के पद पर आईएएस अधिकारी अनमोल सागर की नियुक्ति के बाद उम्मीद थी कि अवैध निर्माणों पर रोक लगेगी, लेकिन इसके विपरीत, अवैध इमारतों को नियमित करने और उन्हें कर प्रणाली में लाने की प्रक्रिया ने भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दिया है।

मुंबई उच्च न्यायालय ने भिवंडी में अवैध निर्माणों पर रोक लगाने के लिए विशेष कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था, जिसमें पुलिस विभाग की भूमिका भी तय की गई थी। साथ ही, एक अतिरिक्त उपायुक्त की नियुक्ति का आदेश दिया गया था, जिसे कोई अन्य कार्यभार न दिया जाए। लेकिन पालिका प्रशासन ने इस आदेश की अवहेलना करते हुए उपायुक्त बालकृष्ण क्षीरसागर को अतिक्रमण विभाग और कर मूल्यांकन विभाग दोनों का कार्यभार सौंप दिया है। इससे संदेह गहरा गया है कि प्रशासन खुद ही अवैध इमारतों को संरक्षण दे रहा है।

इससे पहले भी भिवंडी महानगर पालिका के कई अधिकारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए हैं। हाल ही में, ठाणे एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक प्रभारी सहायक आयुक्त और बीट निरीक्षक को बिल्डर से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, नवी मुंबई एंटी करप्शन ब्यूरो ने तीन अधिकारियों को एक इमारत को टैक्स लगाने के एवज में  15 प्रति वर्ग फुट के हिसाब से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था।

आईएएस अधिकारी अनमोल सागर के कार्यकाल में अवैध निर्माणों की संख्या बढ़ी है, जिससे उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने उनकी निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए जांच की मांग की है।शहर में अवैध इमारतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अगर इसी तरह प्रशासन की मिलीभगत से अवैध निर्माण चलते रहे तो शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा और भविष्य में बड़े हादसे भी हो सकते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या महाराष्ट्र सरकार और न्यायपालिका इस गंभीर मुद्दे पर कोई सख्त कदम उठाएगी या फिर भिवंडी अवैध निर्माणों के मकड़जाल में और फंसता चला जाएगा!

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