भिवंडी का क्रिकेट स्टेडियम बना मलबे का अड्डा

पालिका की अनदेखी से क्षेत्र में फैला गंदगी और अव्यवस्था का अंबार

आरोग्य और स्वच्छता को खतरा, नागरिकों में बढ़ रहा आक्रोश

भिवंडी। भिवंडी मनपा के प्रभाग समिति क्रमांक चार में स्थित परशुराम धोडू टावरे स्टेडियम (धोबी तालाब स्टेडियम) आज अपनी मूल पहचान खोता जा रहा है। खेल गतिविधियों के लिए बनाए गए इस स्टेडियम की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। अब यह स्थान खेल प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि पुरानी इमारतों से निकले मलबे (रैबिट) के भंडारण और बिक्री का अड्डा बन चुका है।

     स्थानीय सूत्रों की मानें तो शहर के कई ठेकेदार, जो पुरानी इमारतों को गिराते हैं, वे सीधे इस स्टेडियम की चारदीवारी के भीतर मलबा डंप करते हैं और फिर उसी जगह से ऊँचे दामों में इसे बेच देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब खुलेआम हो रहा है,लेकिन भिवंडी मनपा प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

यह स्टेडियम कई वर्षों से सामाजिक,सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों और शादियों के आयोजन के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है। इन आयोजनों के लिए मनपा बाकायदा शुल्क भी वसूल करती है। लेकिन जब बात व्यवस्थित रूप से रैबिट के धंधे की आती है, तो प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। मलबे के कारण स्टेडियम परिसर में हर तरफ धूल, गंदगी और अव्यवस्था का माहौल है। बरसात के मौसम में यह मलबा जलजमाव और मच्छरों के प्रजनन का कारण बनता है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना रहता है। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ता है। स्टेडियम के आस-पास रहने वाले नागरिक लगातार इसकी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस स्थिति पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि खेल मैदान को मलबा डंपिंग ग्राउंड में तब्दील करना न सिर्फ खेल भावना का अपमान है, बल्कि यह स्वच्छ भारत मिशन की भी अवहेलना है। नागरिकों की मांग है कि स्टेडियम की जमीन को तुरंत मलबे से मुक्त कराया जाए और जिम्मेदार ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाए। अब यह देखना बाकी है कि भिवंडी मनपा प्रशासन कब जागता है और इस अवैध गतिविधि पर लगाम लगाकर स्टेडियम को उसकी मूल पहचान वापस दिलाता है।

रिपोर्टर

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