श्रीमद्भागवत की रचना कलयुग के लिये ही हुई- डॉ रामानंद जी महराज

भदोही । जंगीगंज क्षेत्र के चौखड़ी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में डा रामानंद जी ने कहा कि भगवान जिसे मुक्ति देना चाहते उसे अपना स्वरूप दे देते है कथा श्रवण के बाद मनन करना बहुत जरूरी है तभी कथा का पुरा पुण्य मिलता है जो कथा सुनने से ऊबता नही वह सच्चा श्रोता है, भागवत कथा साधन साध्य नही बल्कि भाग्य साध्य है, यह भाग्य से ही मिलता है जीवन वही है जहां भगवान के प्रति रति है रति होने से ही जीवन में अभिमान नही आता और जब अभिमान नही रहेगा तब भगवतकृपा संभव है कहा कि मन ही बंधन व मोक्ष कारण है, मन व बुद्धि के इशारे पर व चलें बल्कि विवेक के इशारे पर चलें इन्द्रियों के वशीभूत न होकर चलें बल्कि इन्द्रियों पर संस्तृप्ति जरूरी है इसके लिये भागवत कृपा बहुत ही जरूरी है भागवत कथा तीर्थस्थल पर सुनना सर्वश्रेष्ठ होता है वैसे व्यवस्थानुसार भी सुनना चाहिये कथा के दौरान किसी भी तरह किसी का अपमान न हो बल्कि पुरे मन से स्वागत- सत्कार करें भागवत कथा की आवश्यकता कलयुग में ही है न कि अन्य युगों में इस मौके पर राम लोलारख तिवारी, ओम प्रकाश, सर्वजीत उपाध्याय, चन्द्रमणि त्रिपाठी, शोभनाथ तिवारी, दयापति पाण्डेय व अरविन्द तिवारी समेत काफी संख्या में श्रोता मौजूद थेl

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