अयोध्या फैसला आने के पहले रामलला के मुख्य पुजारी का बढ़ाया गई सुरक्षा

नई दिल्ली ।। अयोध्या मामले (Ayodhya case) में संभावित फैसले को लेकर अयोध्या जिला प्रशासन अलर्ट है. इसी बीच उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या में विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास को शासन की तरफ से सुरक्षा मिल गई है. अयोध्या जिला प्रशासन सुरक्षा में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है. अयोध्या विवाद के फैसले के संभावना को देखते हुए मुख्य पुजारी सतेंद्र दास को गनर की सुविधा प्रदान की गई है. संभावित फैसले को लेकर 10 दिसंबर तक जनपद में धारा 144 लागू कर दी गई है. 

दीपोत्सव, चेहल्लुम व कार्तिक मेले को लेकर 2 महीने तक अयोध्या जनपद में धारा 144 लागू रहेगी. जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने जनपद में निषेधाज्ञा लगा दी है.उधर, सुप्रीम कोर्ट में 37वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा था कि वह इनटरवीनर, मठ, लिमिटेशन पर दलीलें देंगे. उन्‍होंने कहा था कि न्यायिक व्यक्ति का मामला उठाकर हिन्दू मुख्य मामले से भटकाना चाह रहे हैं. 

हिन्दू पक्ष का कहना था कि जन्म स्थान अपने आप में न्यायिक व्यक्ति होता है. जस्टिस बोबड़े ने राजीव धवन से सवाल करते हुए पूछा था कि क्या इस्लामिक शिक्षाओं के मुताबिक सिर्फ अल्लाह ही पवित्र या दिव्य है, सिर्फ उनकी ही इबादत होती है और किसी की नहीं? ऐसे में बाकी वस्तु व जगह क्‍या पवित्र मानी जा सकती है. क्या मस्जिद (Mosque) की अपने आप में दिव्यता को लेकर किसी इस्लामिक विद्वान ने कुछ कहा है? 

राजीव धवन ने जवाब दिया था कि एक मस्जिद हमेशा पवित्र और दिव्य है. यह वह जगह है जहां कोई अपने ख़ुदा की इबादत करता है. यहां पांचों वक़्त नमाज पढ़ी जाती है. जिस चीज़ के जरिए खुदा की इबादत हो, वो अपने आप में हर चीज़ पवित्र है. धवन ने कहा था कि हिंदुओं ने हमारी मस्जिद को गिरा दिया और हिंदुओं ने उलटा कहा कि उनको प्रताड़ित किया गया. दो राष्ट्र की बात कही गई. धवन ने कहा था कि वक़्फ़ को अंग्रेजों ने भी अप्रूवल दिया था.

धवन ने निर्मोही अखाड़ा की याचिका का अंश पढ़ते हुए कहा कि याचिका में कहा गया था कि वहां पर तीन गुम्बद की कोई मस्जिद नहीं थी. भारतवर्ष में इस्लामिक कानून लागू नहीं होता. यह भी कहा गया कि गुम्बद वैदिक समयकाल से मिलता-जुलता है और बाबर ने नहीं मीर बाकी ने मन्दिर को गिराया.

उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह एक फकीर से बहुत प्रभावित था.राजीव धवन ने कहा था कि हिंदू पक्ष मुस्लिमों पर सांप्रदायिक हिंसा का आरोप लगाता रहा है. वो मुस्लिम बादशाहों के हमले व विध्वंस की बात करते हैं लेकिन 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ, जब बाबरी मस्जिद गिरा दी गई. सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए ज़िम्मेदार वो भी है और ये कोई मुगलकाल की बात तो है नहीं

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