होम्योपैथिक हॉस्पिटल के नाम पर भूखंड हासिल कर दूसरे को बेच डाली

मुंबई। सिडको की मिली भगत से चैरिटी करने के लिए न्यू पनवेल और खारघर में होम्योपैथिक हॉस्पिटल के नाम पर भूखंड हासिल कर दूसरों को बेचने और कानून की धज्जियां उड़ाने का मामला सामने आया है।  इस मामले  का खुलासा खुद  पैनेसिया हास्पिटल के संचालक सुभाष सिंह द्वारा करते हुए बताया है कि यह नंदकुमार गायकवाड़ नामक एक डाक्टर की करतूत है। गायकवाड ने  एलसीईएच  की अमान्य सर्टिफिकेट दिखाकर सिडको से 3 प्लॉट हासिल किया और फिर उनके जैसे दूसरे डाक्टरों के हाथ बेच दिया। इस मामले का खुलासा होने के बाद मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया गया है। जहां अब इसका फैसला होना है।

सूत्रों की माने तो पैनेसिया हॉस्पिटल नंदकुमार गायकवाड के जगह पर बना हुआ है। उस अस्पताल के निचे ही नंकुमार के रिश्तेदार का एक मेडिकल है। माना जा रहा है की इस मेडिकल से नंदकुमार के भी संबंध है। पिछले कई वर्षों से यह अस्पताल द्वारा इस मेडिकल से दवा लिया जाता था। लेकिन किसी कारणवश थोड़ा बहुत दवा लेना बंद कर दिया गया। इसकी भनक नंदकुमार को होने पर अस्पताल को खाली करने का नोटिस भेज दिया। लेकिन अचानक इस नोटिस आने के कारण डॉ सुभाष सिंह के पैरोतले जमीन खिसक गया। क्योंकि उन्होंने इस अस्पताल में करोड़ों रुपये खर्च कर तैयार किए है। अब अचानक इसे खाली करने का नोटिस आने से भारी नुकसान जो होने वाला है। 

अस्पताल खाली करने के नोटिस के बाद मामला आया सामने 

ज्ञात हो कि यह मामला पैनेसिया हॉस्पिटल की जमीन को खाली करने की नोटिस के बाद आया है। बताया जा रहा है कि जिस भूखंड पर पैनेसिया हास्पिटल बना है वह जमीन दरअसल डॉ. नंदकुमार गायकवाड़ ने होम्योपैथिक क्लिनिक खोलने के लिए आवंटित करवाया था। लेकिन 2010 तक कोई निर्माण नहीं करने से भूखंड आवंटन रद्द होने वाला था जिसे बचाने गायकवाड़ ने 15 सालों के कान्ट्रैक्ट पर इसे डॉ. सिंह को सौंप दिया, जहां पैनिसिया हॉस्पिटल चलता है। डॉ. सिंह का आरोप है कि गायकवाड़ ने उनके साथ धोखाधड़ी की है। अपात्र होकर भी गायकवाड़ ने पनवेल में 2 और खारघर में 1 भूखंड हासिल किया है। खारघर सेक्टर 2 के प्लाट नंबर 15 पर स्थित एक भूखंड आज भी अधूरा पड़ा है। कहने के लिए यहां हॉस्पिटल चलता है, लेकिन हकीकत में यहां फर्नीचर की दुकान, कोचिंग क्लास और कैफे चलता है, जो धांधली का बड़ा सबूत है।

राजनेताओं के दबाव में छिड़ा विवाद 

सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनाव के दौरान पनवेल मनपा चुनाव में उत्तर भारतीयों को उम्मीदवारी देने का वादा एक राजकीय दल द्वारा  किया गया था।  लेकिन पनवेल मनपा चुनाव की घोषणा के बाद उम्मीदवार के नाम की घोषणा किये जाने के बाद एक भी उत्तर भारतीयों के नाम शामिल नहीं थे। इससे नाराज होकर भाजपा के दर्जनों उत्तर भारतीय नेता नाराज होकर पनवेल में एक मीटिंग की। 

इस मीटिंग में डॉ सुभाष सिंह भी उपस्थित थे। इस मीटिंग के दौरान भाजपा से बागायत की आवाज उठाया गया।  इस को लेकर पनवेल के इन नेताओं में काफी रोष उमड़ा। जिसके बाद इन नाराज लोगों को किसी तरह शांत किया गया। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही राजकीय दबाव में डॉ सुभाष सिंह के खिलाफ यह चाल चला गया और उन्हें अस्पताल को खाली करने का नोटिस भेजा गया।  लेकिन यह नोटिस भेजने वाले के खिलाफ जबब जांच किया गया। 

उसके बाद यह भूखंड फर्जी जानकारी देकर हड़पे जाने का खुलासा हुआ। वहीं किसी भी तरह के राजकीय षड्यंत्र होने से सुभाष सिंह ने साफ इंकार कर दिया है।  उन्होंने बताया कि इस मामले में विधानसभा सत्र के दौरान तारांकित सवाल भी पूछे गए है। जिसमे सिडको द्वारा इसके खिलाफ जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। 

यह बड़ी धोखाधड़ी है और नियमों का उल्लंघन है, जिसके खिलाफ उन्होंने सिडको और पनवेल पुलिस को शिकायत देकर जांच और कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में अवैध तरीके से रिजर्व प्लाट हथियाने और कानून के साथ धोखाधड़ी किया गया है। हमें इस की जानकारी भी नही थी। उन्होंने बताया की इस मामले में कोर्ट में याचिका भी दाखिल किये है जल्द उसका भी निर्णय आएगा। और हमें विश्वास है की हमें न्याय मिलेगा। 

- डॉ. सुभाष सिंह  , शिकायतकर्ता


डॉ.सिंह की लिखित शिकायत मिली है। उसकी जांच के लिए मिले निर्देश पर मुझे संबंधित हास्पिटल की फाइल का आकलन कर रहा हूं। जल्द ही गायकवाड़ को शोकाज नोटिस भेजी जाएगी। जवाब आने पर जरूरत पड़ी तो जांच के लिए कमेटी बनाई जाएगी।

- टी एल परब , मैनेजर  सिडको

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