मधुमक्खी पालन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

वाराणसी से  त्रिपुरारी यादव कि रिपोर्ट 


वाराणसी रोहनिया ।। शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान,में ‘मधुमक्खी पालन’ पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि डॉ. पंजाब सिंह, कुलाधिपति रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्व विद्यालय, झाँसी एवं (फार्ड फाउण्डेशन), वाराणसी ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मधुमक्खी पालनः मधु-क्रांति, ग्रामीण स्वरोजगार एवं उद्यमिता विकास का आधार है। कोविड-19 के परिदृश्य मे यह कम लागत वाला कृषि उद्यम है जिसको अपनाकर अन्नदाता किसान अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ फसलों में पर-परागण के माध्यम से अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. सिंह ने किसानो से मधुमक्खी पालन को उद्यम के रुप में अपनाने की सलाह देते हुये बताया कि किसानो को शहद, पराग, मोम, रालाभ एवं रायलजेली का उत्पादन कर इनके विपणन व निर्यात पर भी ध्यान देना चाहिये। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ जगदीश सिंह ने कहा कि संस्थान का उत्कृष्ट मधुमक्खी पालन केन्द्र मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण कच्चे शहद के प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान कर मधुमक्खी पालकों की सहायता कर रहा है।अपने उद्बोधन में कहा कि देश में शहद की औसत उत्पादकता 25 किग्रा. प्रति मौनवंश प्रतिवर्ष है। अभी देश मे शहद का उत्पादन 1 लाख टन प्राप्त हुआ है जबकि इसकी उपलब्धता 50 ग्रा. की जगह केवल 10 ग्रा. प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है। उत्तर प्रदेश की जलवायु मधुमक्खी पालन लिये अति उपयुक्त है अतः मौनपालक वर्ष भर शहद का उत्पादन एवं छत्ते का गुणन कर रोजगार व कम लागत मे अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मधुमक्खी के 50 मौनवंशों के पालन से 1-1.5 लाख रुपये तक की आमदनी प्रतिवर्ष प्राप्त होती है। इसके अलावा मधुमक्खी पालन से विभिन्न फसलों के कारण शहद की तुलना में 16 गुना अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होता है। इस कार्यक्रम में डॉ. शिवराज सिंह (पूर्व निदेशक), डॉ. ऋषि मुनि सिंह (पूर्व अधिष्ठाता), डॉ.उमेश सिंह (प्राध्यापक) एवं डॉ.संतोष सिंह (प्राध्यापक), काशी हिन्दू विश्व विद्यालय, वाराणसी ने भी अपने उद्बोधन से प्रशिक्षणार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुये मधु-क्रांति को सफल बनाने का आग्रह किया। कार्यक्रम की समीक्षा रिपोर्ट डॉ.आत्मानंद त्रिपाठी ने दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य रूप से समन्वयक डॉ.आत्मानंद त्रिपाठी,डॉ.प्रताप दिवेकर, डॉ.शुभदीप राय एवं डॉ. नीरज सिंह उपस्थित रहे।

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