
अल्पसंख्यांक विभाग द्वारा मौलाना अब्दुल कलाम की मनाई गयी जयंती ।
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Nov 16, 2018
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अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी परवेज खान (पी के) उपस्थित ।
भिवंडी ।। आल इंडिया कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक विभाग व महाराष्ट्र प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष नादिम जाबेद,मो• अकरम , एम एम शेख के आदेशानुसार ठाणे जिला के अबंरनाथ शहर में मौलाना अब्दुल कलाम की जयंती मनाई गई ।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ठाणे जिला ग्रामीण कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग अध्यक्ष जवाद चिखलेकर ने किया । वही पर प्रभारी के रुप में परवेज खान ( पी के) भी उपस्थित थे । इस अवसर पर परवेज खान (पी के) ने कहा कि ११ नवंबर को देश में नेशनल एजुकेशन डे के तौर पर मनया जाता है । यह देश की उस बड़ी हस्ती को सम्मान है जिसने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और हिन्दू मुस्लिम एकता की नींव रखी । उन्होंने देश को आई आई टी,आई आई एम और यूपीसी जैसे संस्थान दिऐ । मौलाना आजाद का जन्म ११ नवंबर १८८८ को मक्का ,सुउदी अरब में हुआ था उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था। लेकिन मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए । मौलाना आजाद स्वंतत्रता संग्राम के अहम नेताओं में से एक थे। वह नेता के साथ साथ पत्रकार और लेखक भी थे।उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी व माता का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था ।उनकी माता शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थी उनके पिता एक विद्वान थे उनके सैकड़ों शागिर्द ( शिष्य) थे। साल १८९० में उनका परिवार मक्का से कलकत्ता शिफ्ट हो गया था। आजाद न अपने परिवार की संस्कृति के अनुसार पापारिक इस्लामी शिक्षा हासिल की ।उन्होने काई भाषाओं जैसे उर्दू ,हिन्दी, फारसी, बंगाली, अरबी, और अंग्रेज़ी पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई उन्होंने पश्चिमी दर्शन शास्त ,इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्ययन किया । पढाई के दिनों में वह काफी प्रतिभा शाली और मजबूत इरादे वाले
छात्र थे ।अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय शुरू किया, अपनी उम्र से दौगुने उम्र के छात्रों को पढ़ाया । १६ साल की उम्र में उन्होंने सभी परंपरागत विषयों का अध्ययन पुरा कर लिया था।पंडित जवाहर नेहरू की केविनेट में १९४७ से १९५८ तक मौलाना अब्दुल कलाम आजादी शिक्षा मंत्री रहे ।उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया उन्होंने अनेक संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई ।उनके योगदान को देखते हुए १९९२ में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अंबरनाथ नगर परिषद के विरोधी पक्ष नेता प्रदीप पाटिल, पाषर्द नाईका पाटिल ,पंकज पाटिल ,नाईम सिद्धाकी,गुलजार अली पटेल,अकबर खान आसिफ काजी,चेतन सिंह पवार,अब्दुल गनी सय्यद शेख ,प्रजापति, मुजीमल शेख आदि पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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