
काम अधूरा, खतरा पूरा - ठेकेदारों की मनमानी
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- May 25, 2025
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ड्रेनेज और गटर व सड़क बने जनता के लिए मौत
भिवंडी। भिवंडी शहर में एक बार फिर पालिका प्रशासन की लापरवाही मानसून से पहले शहरवासियों की चिंता का कारण बन गई है। पालिका प्रशासन की ओर से शुरू किए गए ड्रेनेज, गटर और आरसीसी सड़कों के निर्माण कार्य मानसून की दस्तक के बावजूद अधूरे पड़े हैं। कई जगहों पर सड़कें खोदी गई हैं, नाले खुले हैं और जगह-जगह गटर का गंदा पानी गड्ढों में भरा हुआ है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ठेकेदारों को सड़कें बनाने का ठेका मिला है या मौत का ?
मानसून अब किसी भी समय सक्रिय हो सकता है, लेकिन शहर की हालत देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे भिवंडी महानगर पालिका किसी और ही मौसम की तैयारी कर रही है। खुदाई किए गए इलाकों में ना तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, ना ही उचित बैरिकेडिंग की गई है। नतीजा — दिन हो या रात, नागरिक जान हथेली पर रखकर आवाजाही करने को मजबूर हैं। शहर के कई इलाकों — जैसे कि शांतिनगर, तीनबत्ती, मुग्गी मोहल्ला,चूड़ी मोहल्ला, खड़ग रोड़, गुलजार नगर, कमला होटल आदि इलाकों में खुदाई के बाद से ही जलनिकासी की व्यवस्था चरमराई हुई है। गटर का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है और खुदे हुए गड्ढों में जमा हो रहा है। इससे एक ओर जहां डेंगू, मलेरिया जैसे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, वहीं दूसरी ओर सड़क दुर्घटनाओं की आशंका भी बनी हुई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ठेकेदारों को समय पर काम पूरा करने के लिए न तो कोई सख्त निर्देश दिए गए हैं और न ही उन पर कोई कार्रवाई की जा रही है। कार्यों की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में है। हर साल करोड़ों रुपये का बजट पास होता है, लेकिन नतीजा वही 'ढाक के तीन पात' — मानसून आते ही सड़कें तालाब बन जाती हैं। स्थानीय नागरिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चेताया है कि यदि आगामी 7 दिनों में सभी अधूरे कार्यों को प्राथमिकता देकर पूरा नहीं किया गया, तो नगर निगम कार्यालय का घेराव किया जाएगा। एक तरफ सरकार 'स्वच्छ भारत मिशन' की बातें करती है, वहीं दूसरी ओर भिवंडी की हालत देखकर लगता है जैसे यहां शासन नाम की कोई चीज़ ही नहीं।
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