शेर ए कारगिल परमबीर विजेता योगेन्द्र यादव का आगमन 18 को जौनपुर सुजानगंज में

भदोही  ।। सुरियावां करगिल युद्ध में शामिल बीर जांबाज परमबीर चक्र विजेता योगेन्द्र यादव का आगमन जौनपुर जिला के सुजानगंज में 18 सितंबर को हो रहा है ।ज्ञात हो कि 1999 मे कारगिल युद्ध से दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाले 

योगेन्द्र यादव का जन्म 10 मई 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद अहिर गांव में हुआ था। उनके पिता करण सिंह यादव ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बढ चढ कर बड़ी वीरता से भाग लेकर कुमाऊं रेजिमेंट में सेवा की थी। यादव 16 साल और 5 महीने की आयु में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे।

सैन्य जीवन

  ग्रेनेडियर यादव 18 ग्रेनेडियर्स के साथ कार्यरत कमांडो प्लाटून 'घातक' का हिस्सा थे, जो 4 जुलाई 1999 के शुरुआती घंटों में टाइगर हिल पर तीन सामरिक बंकरों पर कब्ज़ा करने के लिए नामित की गयी थी। बंकर एक ऊर्ध्वाधर, बर्फ से ढके हुए 1000 फुट ऊंची चट्टान के शीर्ष पर स्थित थे। यादव स्वेच्छा से चट्टान पर चढ़ गए और भविष्य में आवश्यकता की सम्भावना के चलते रस्सियों को स्थापित किया। आधे रस्ते में एक दुश्मन बंकर ने मशीन गन और रॉकेट फायर खोल दी जिसमे प्लाटून कमांडर और दो अन्य शहीद हो गए। अपने गले और कंधे में तीन गोलियों के लगने के बावजूद, यादव शेष 60 फीट चढ़ गए और शीर्ष पर पहुंचे। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह पहले बंकर में घुस गए और एक ग्रेनेड से चार पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी और दुश्मन को स्तब्ध कर दिया, जिससे बाकी प्लाटून को चट्टान पर चढ़ने का मौका मिला

उसके बाद यादव ने अपने दो साथी सैनिकों के साथ दूसरे बंकर पर हमला किया और हाथ से हाथ की लड़ाई में चार पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की। अतः प्लाटून टाइगर हिल पर काबिज होने में सफल रहे 


रोचक तथ्य

ग्रेनेडियर यादव के लिए परमवीर चक्र की घोषणा मरणोपरांत के लिए की गई थी, लेकिन जल्द ही पता चला कि वह अस्पताल में सुधार की हालत में हैं और जीवित हैं।

सम्मान

जान की बाजी लगा कर देश की सेवा करने के कारण भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया था किन्तु बाद में उन्हें बचा लिया गया।।

रिपोर्टर

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