![](https://hindisamaachar.com//images/featured_image//8565a6f58f1096c24529628f4c29f8dd0d277d4b.jpg)
......लो फिर आ गया विधानसभा चुनाव नेताओं ने शुरू किया कांव कांव
- Hindi Samaachar
- Sep 21, 2019
- 1095 views
■ चुनाव आते ही दिखने लगते है नेतागण
मुंबई ।। अप्रैल 2019 में संपन्न हुए सांसद चुनाव के पश्चात एक बार फिर से नेताओं ने राहत की सांस ली और वे अपने अपने घोसले में जा बैठे परंतु जैसे ही चार माह बाद विधानसभा चुनाव का समय सर पर आ धमका वैसे ही यह नेता एक बार फिर अपने घोसलों से बाहर आकर कांव-कांव करते हुए सड़कों पर उतरने लगे इतना ही नही वे लोग छोटे से छोटे कार्यक्रम तक को नही छोड़ना चाहते है क्योंकि उन्हें यह डर लगा रहता है कि कही जनता उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर ना फेक दे ।
★ छोटे से बड़े नेताओ का डोला सिंहासन
विदित हो कि जैसे ही सांसदी के चुनाव की घोषणा हुई वैसे ही छोटे से लेकर बड़े स्तर तक के नेताओं का सिंहासन डोल गया और वे अपने आराम देह घरों से बाहर निकल सड़कों पर दौड़ने लगे लोगों के बीच अपना पसीना बहाने लगे तरह-तरह के हथकंडे अपना लोगों का दिल जीतने का भरसक प्रयास किया परंतु जैसे ही चुनाव खत्म हुआ वैसे ही सारे के सारे नेता चकोर पक्षी की तरह गायब हो गए दूर-दूर तक उनका कहीं अता पता ही नहीं चला परंतु फिर जैसे ही विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा वैसे ही यह नेतागण अपने-अपने घरों से निकलकर फिर सड़कों पर उतरे और लोगों के बीच पहुचकर फिर से कांव-कांव करना शुरू कर दिया आज हालात यह हो गए हैं कि यह नेता किसी भी तरह के छोटे-मोटे कार्यक्रम तक को नजरअंदाज नहीं करते हैं चाहे भाजपा हो, चाहे शिवसेना या फिर कांग्रेस अथवा राष्ट्रवादी कांग्रेस सभी अपने अपने स्तर पर अपने प्रचार प्रसार में रम गए हैं कहीं आशीर्वाद यात्रा निकाली जा रही है तो कहीं लोगों का साथ पाने के लिए कोई रैली निकाली जा रही है इस तरह से सभी अपने अपने स्तर पर कार्य करने में रम गए हैं यदि शिवसेना और भाजपा की युति के बारे में यह कहा जाए कि इनकी आपस में नहीं बनती तो यह असत्य भी नहीं होगा अपने डूबते हुए अस्तित्व को बचाने के लिए शिवसेना हर तरह के मूल मंत्र अपना रही है परंतु उसे सफलता नहीं मिल पा रही है वही लगातार दूसरी बार भी जीत हासिल करने के पश्चात भाजपा मदमस्त हाथी की तरह सभी को रौंदता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है आज भाजपा अपने अनुसार शिवसेना से यूती करने पर बल दे रहा है तो वही शिवसेना अपनी मान सम्मान व प्रतिष्ठा को फिर से पाने के लिए हर तरह से प्रयासरत हैं जिससे शिवसेना और भाजपा में आपस में बिल्कुल ही नहीं बनती है वहीं कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा की इसी तानाशाही के चलते इस बार भी भाजपा व शिवसेना की युति नहीं होगी और दोनों पार्टियां अलग अलग चुनाव लड़ेंगे क्योंकि आज भाजपा में टिकट लेने वालों की संख्या बहुत ही तेजी से बढ़ गई है ऐसे में यदि समझौता होता भी है तो वह किस फार्मूले पर होगा यह अनुमान लगाया जा पाना संभव नहीं हो पा रहा है ।
रिपोर्टर