शौचालय के दिये तीन अरब रुपयों का हिसाब नही

वाराणसी । यूपी के चंदौली जिले के गांवों में शौचालय बनाने के लिए दिए तीन अरब रुपये का हिसाब-किताब नहीं मिला है। लगातार मिल रही गड़बड़ियों की शिकायतों की जांच करने के लिए सीडीओ शनिवार को डीपीआरओ कार्यालय पहुंचे थे। सीडीओ की रिपोर्ट के बाद डीएम नवनीत सिंह चहल ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए शासन को पत्र भेज दिया है।   

जिले के गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए 3.31 लाख शौचालय बनने हैं। इसके लिए तीन अरब 97 करोड़ दो लाख रुपये का बजट है। तीन साल के दौरान इसमें से तीन अरब से अधिक रुपये जिले को मिल चुके हैं इस राशि के सही से इस्तेमाल नहीं किए जाने की शिकायतें लगातार मिल रही थीं।  डीपीआरओ कार्यालय पहुंचे सीडीओ शौचालय निर्माण के लिए मिले धन की जानकारी के लिए ग्रांट रजिस्टर भाग एक का मुआयना किया। रजिस्टर अप्रैल, 2015 तक ही भरा गया था। तीन साल में शासन से मिले धन का विवरण इसमें दर्ज नहीं था। लाभार्थियों के खाते में भेजे जाने वाले धन से संबंधित ग्रांट रजिस्टर दो और तीन भी अपूर्ण मिले। उन्होंने कैश बुक मिलान के दौरान रजिस्टर और पास बुक में दर्ज विवरण में दो करोड़ का अंतर पाया गया। यही नहीं, बंद हो चुके गंगा एक्शन प्लान की फाइलों में भी दो करोड़ की अनियमितता उजागर हुई। चौदहवें वित्त आयोग के तहत शासन से मिले धन की पत्रावलियों में भी गड़बड़ी मिली।  इस पर डॉ. श्रीवास्तव ने डीपीआरओ उमाशंकर मिश्र और लेखाकार राम प्रसाद के खिलाफ जांच के लिए डीएम को रिपोर्ट भेज दी। उन्होंने लेखाकार का जुलाई का वेतन और अनुपस्थित मिले 10 कर्मचारियों का एक दिन का वेतन भी रोकने का निर्देश दिया। चंदौली के डीएम नवनीत सिंह चहल ने डीपीआरओ कार्यालय में वित्तीय अनियमितताओं की प्रमुख सचिव पंचायती राज से जांच कराने मांग की गई है। जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

रिपोर्टर

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