दीपावली उत्सव पर दीवाली सीज़नी वसूली पत्रकारों की संख्या में इजाफा !

भिवंडी।।भिवंडी शहर के सोशल मीडिया पर न्युज नामक वीडियो बनाकर स्वयं घोषित पत्रकारों की बढ़ती संख्या के कारण जहां पत्रकारों की गरिमा खराब हुई है वही पर इन सोशल मीडिया और बंद अखबारों के मालिकों व संपादको ने दीपावली उत्सव पर वसूली दीवाली की संज्ञा देते हुए बकायदे मटका राइट्स, सिलाई मशीन वाले,रिक्शा चालक,झोलाछाप डॉक्टर, मादक पदार्थों की बिक्री करने वाले, मुर्गी का मटन बेचने वाले,कंपनी में काम करने वाले, दूध वाले और लोहा पीटने वाले आदि को सोशल मीडिया का पत्रकार बनाकर उन्हें फर्जी प्रेस कार्ड व विजिटिंग कार्ड जारी करते हुए, उनसे 60/40 बंटवारे के तहत सरकारी कार्यालयों, पुलिस थानों और सरकारी राशन दुकानों से वसूली करवाने का गोरखधंधा शुरू कर दिया है। ऐसे लोगों द्वारा प्रतिष्ठित पत्रकारों की गरिमा खराब होने के साथ साथ पत्रकारिता को भी बदनाम किया जाता रहा है।

 कुछ जानकारों की माने तो दीपावली उत्सव आते ही शहर में बंटी बबली पत्रकारों के जोड़ी और यूट्यूब पर बोगस न्युज चैनल चलाने वाले स्वयं घोषित पत्रकारों की कई टोलियां सक्रिय होकर सरकारी अधिकारियों से वसूली करने के लिए नाक में दम लगा देती है। प्रत्येक टोली में चार से पांच सदस्य होते है जिनका मुखिया खुद बंद अखबार अथवा बंद यूट्यूब चैनल का फर्जी पत्रकार होता है जो अपने साथ चार से पांच फर्जी पत्रकारों को जोड़ लेता है। यही नहीं मुखिया इन सब को फर्जी प्रेस कार्ड व विजिटिंग कार्ड भी जारी कर देता है। टोली के प्रत्येक सदस्यों द्वारा सरकारी कार्यालयों में अपना विजिटिंग कार्ड देकर दीवाली वसूली की जाती है। वसूली में मिले रकम में से 60 प्रतिशत हिस्सा मुखिया लेता है और 40 प्रतिशत अपने प्रत्येक सदस्यों को देता है। यही नहीं आश्चर्य की बात है कि इस खेल में मुखिया भी बकायदे अपने नाम का विजिटिंग कार्ड देकर उनके साथ ही वसूली करता है। ऐसे स्वयं घोषित पत्रकार वसूली करने में पीएचडी की डिग्री किये रहते है किन्तु इन्हें शायद शाला व मधुशाला का ज्ञान नही होता। यही नहीं इनका आंतक व मनोबल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि पुलिस विभाग से भी वसूली कर लेते है। पुलिस सबकुछ जान कर भी अनजान बनी रहती है। विभाग भी इनकी तहकीकात करने के बदले इनके ही आवभगत में जुटी रहती है। कई सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों की माने तो दीपावली उत्सव में कार्यालयों में बैठकर काम करना मुश्किल हो गया है। यह सिलसिला दीपावली के 15 दिन बाद भी जारी रहता है। ऐसे स्वयं घोषित पत्रकारों का लगभग 250 विजिटिंग कार्ड सरकारी कार्यालयों में जमा हो जाते है। जो रोज दीवाली वसूली करने के लिए कार्यालयों का चक्कर काटते रहते हैं। यही नही अधिकारियों से बकायदे तगादा भी किये जाते है। इनके डर से कार्यालयों में बैठकर काम करना मुश्किल हो जाता है। यही हाल सरकारी राशन दुकानदारों का भी है दुकानों पर ग़रीबो का अनाज वितरित करना मुश्किल हो चुका है। क्या ऐसे स्वयं घोषित पत्रकारों पर पुलिस प्रशासन कार्रवाही करेगी। इस पर जागरूक नागरिकों ने निगाहें बनाकर रखा हुआ है।

रिपोर्टर

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