भिवंडी में चुनावी ब्यार, तोपची की संख्या हुई अपरंपार

भिवंडी।। देश में लोकसभा चुनाव का चुनावी मौसम आया है।‌ चुनावी मौसम में तोपची पत्रकार भी बरसाती मेढ़क की तरह टर - टर की आवाज़े लगाना शुरू कर दी है। जिसे अपने शहर तक का नाम लिखने नही आता है वह भी बैसाखी लेकर प्रत्याशी के कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है। ऐसे स्वयं घोषित तोपची पत्रकार बैनर पोस्टर देखकर, बिना बुलाऐ कार्यक्रमों में पहुंच रहे है। भिवंडी शहर भी इससे अछूता नहीं है। कई तो ऐसे तोपची है जिन्हें वर्ण माला का ज्ञान नहीं किन्तु पत्रकार संगठना से जुड़े होने के कारण एन वाई वन करने के लिए सबसे अग्रिम पंक्ति में बैठे नजर आते है। 

भिवंडी में स्वयं घोषित पत्रकरों की संख्या लगभग डेढ़ सौ के करीब है। महिने व दो महिने में एक बार यूट्यूबियां चैनल पर फर्जी न्युज का विडियो अपलोड कर स्वयं घोषित पत्रकार बने हुए है। शौचालय में पानी डालने वाले, राशन माफिया, मटका राइटर्स, किराना वाला, हुक्का वाला ,दारू वाला, जुआ वाला, चरस गांजा वाला आदि तमाम लोग इनके चैनलों के कार्ड होलडर अथवा प्रेस आईडी कार्ड धारक है। स्थानीय पुलिस और मनपा प्रशासन भी ऐसे यूट्यूबियां चैनल वालों पर कार्रवाई करने के बजाय इन्हे ही प्राथमिकता देते है। इनके द्वारा शहर का माहौल खराब करने के बाद इन्हे ही बुलाकर नसीहत का पाढ़ भी पढ़ाते है। 

शहर में नाबालिग से लेकर क,ख,ग, का ज्ञान तक नहीं रखने वाले ऐसे लोग वाकपटुता के आधार पर आज यूट्यूब न्युज चैनल के मालिक बने हुए है। इन्हें पत्रकारिता का ज्ञान ना होने के कारण जनता के बीच क्या प्रसिद्धि अथवा प्रसारित करना है। इसका ज्ञान नहीं होता है। शहर का माहौल अथवा शांति व्यवस्था खराब होने के बाद ऐसे लोग अपने यूट्यूब चैनल से आसानी से उस फर्जी न्युज का विडियो को डिलीट कर देते है।भिवंडी के लोकल पुलिस भी कई बार ऐसे चैनलों से विडियो को डिलीट करवाया है। 

अवैध रूप से न्युज जैसा फर्जी शार्ट विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने वाले ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कई पत्रकार संगठनो ने भिवंडी उप जिला अधिकारी कार्यालय सहित भिवंडी पुलिस उपायुक्त कार्यालय में अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा है। किन्तु कार्रवाई करने के बजाय शासन व प्रशासन के अधिकांश अधिकारी ऐसे यूट्यूब चैनलों पर नजर आते है। शहर के कुछ पत्रकार संगठना भी इन्हें ही जोड़कर अपनी दुकानदारी चला रहे है। नाका मजदूरों को जितनी दिहाडी मिलती है उससे कम में ऐसे स्वयं घोषित पत्रकार एक चाय, समोसा के लिए पूरे दिन की दिहाडी करते हुए नजर आते है। संगठना चलाने वाले कई लोग इनका उद्धार करने की बाते कर इनका जमकर शोषण करते रहे है। शहर के कई प्रतिष्ठित पत्रकार स्वयं घोषित पत्रकारों के कारण राजनैतिक, सामाजिक, प्रशासनिक कार्यक्रमों से अपनी दूरी बना ली है। ऐसे कार्यक्रमों में जाने तक के लिए कतराते है। हालांकि राजनैतिक, सामाजिक,प्रशासनिक लोग इन्हें ही बुलाकर कर अपना उल्लू साध रहे है।

रिपोर्टर

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