हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होते ही भिवंडी में अवैध इमारत पर चला बुलडोजर
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Dec 11, 2024
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भिवंडी। भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका के अवैध इमारतों के संरक्षण का पुराना और बदनाम इतिहास एक बार फिर सुर्खियों में है। लंबे समय से शहर में अवैध निर्माणों का सिलसिला जारी है, जिसमें प्रशासन की मिलीभगत के आरोप अक्सर लगाए जाते हैं। लेकिन, मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल होते ही प्रशासन हरकत में आया और चौथा निजामपुर इलाके में स्थित एक चार मंजिला अवैध इमारत पर बुलडोजर चलाया गया।
चौथा निजामपुर स्थित म्हाडा कॉलोनी के सर्वे नंबर 123, सीटी सर्वे नंबर 3979 पर जमीन मालिक मों.फारूक अंसारी,जावेद अंसारी और नसीम अंसारी ने बिल्डर अबरार अहमद अंसारी और सईद एकलाख शेख को अवैध इमारत बनाने का ठेका दिया था। इन बिल्डरों ने वर्ष 2022 में इस जमीन पर निर्माण शुरू किया और 2023 में तल अधिक चार मंजिला इमारत तैयार कर दी।सूत्रों के अनुसार, पालिका के कई अधिकारियों ने इस अवैध इमारत के निर्माण में भागीदारी निभाई और बिल्डरों से मोटी रकम वसूलकर इमारत को संरक्षण दिया।अवैध इमारत और पालिका अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए मुजाहिद रहमूद्दीन शेख नामक व्यक्ति ने पालिका आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय में रिट याचिका क्रमांक 30071/2024 दायर की।
याचिका दाखिल होते ही प्रशासन हरकत में आया। प्रभाग समिति क्रमांक एक के प्रभारी सहायक आयुक्त राजू बामन वर्लीकर ने अतिक्रमण पथक के साथ कार्रवाई करते हुए अवैध इमारत का कुछ हिस्सा तोड़ दिया। इसके साथ ही, एमआरटीपी एक्ट के तहत जमीन मालिकों और बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई। हालांकि, अगले दिन पुलिस का बंदोबस्त न मिलने के कारण तोड़क कार्रवाई रोक दी गई, जिससे प्रशासन की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस प्रभाग में बीते कुछ वर्षों में दो दर्जन से अधिक अवैध इमारतें बनाई गई हैं, जिनमें कई अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका रही है
शहर में बार-बार अवैध इमारतों के गिरने और जान-माल के नुकसान से लोग पहले ही गुस्से में हैं। कई बार कोर्ट द्वारा फटकार के बावजूद अवैध निर्माण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। वहीं, कोर्ट में चल रही याचिका ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है
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