
भिवंडी में शौच के नाम पर लूट !
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Apr 13, 2025
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अधिकारी, ठेकेदार और समाजसेवकों की मिलीभगत उजागर
एक- दो नहीं, 5 रुपये तक वसूले जा रहे शौच के नाम पर – फ्री सेवा बनी कमाई का धंधा !
भिवंडी। भिवंडी- निजामपुर महानगर पालिका में ऐसा घोटाला सामने आया है जो सुनकर रूह कांप जाए ! शहर में जनता की मूलभूत जरूरत – शौच – को भी बख्शा नहीं गया। शौचालय विभाग भ्रष्टाचार का टॉयलेट बन चुका है, जहां अधिकारी, ठेकेदार और कुछ पूर्व नगरसेवक मिलकर दिन-दहाड़े लूट मचा रहे हैं। शहर के 392 सार्वजनिक शौचालयों में से 202 ठेके पर दे दिए गए हैं। नियम कहता है – सेवा फ्री होगी या सिर्फ 1-2 रुपये! लेकिन हकीकत ये है कि ठेकेदार खुलेआम 3 से 5 रुपये तक वसूल रहे हैं। न कोई रोक, न कोई टोक ! क्योंकि पीठ पर है शौचालय विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों का हाथ।
कौन है इस खेल का मास्टरमाइंड ? ::::
सूत्र बताते हैं कि सबसे बड़े ठेके निर्मल फाउंडेशन को मिले हैं। इनके अलावा बहुजन विकास संस्था और आदर्श सामाजिक सेवा संस्था भी इस कमाई के खेल में शामिल हैं। खास बात यह कि कुछ शौचालयों पर पूर्व नगरसेवकों और तथाकथित समाजसेवकों ने कब्जा कर अपने आदमी बिठा दिए हैं – जो रोजाना हजारों की वसूली कर रहे हैं।
‘शौच’ से हो रही मलाई ! ::::::
सिर्फ ठेकेदार ही नहीं, मनपा के कुछ अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं। खबर है कि शौचालय विभाग में अधिकारी बनने के लिए 1 लाख रुपये की बोली लगती है। यानी पद नहीं – मुनाफे का लाइसेंस बिक रहा है ! जनता जाए भाड़ में !
कौन संभाल रहा शौचालयों का जिम्मा ?
शहर को 5 प्रभाग समितियों में बांटा गया है। प्रभाग समिति 1 में 102 शौचालय,प्रभाग समिति 2 में 99,प्रभाग समिति 3 में 76,प्रभाग समिति 4 में 75 और प्रभाग समिति5 में 40 सार्वजनिक शौचालय है।
इनका निरीक्षण दो अधिकारियों के जिम्मेदार है। नितीन गोविंद चौहान (प्रभाग 1,2) और हेमंत गुलवी (प्रभाग 3,4,5)। लेकिन दोनों की आंखें भ्रष्टाचार के सामने बंद हैं – क्योंकि मलाईदार धंधे में सबकी हिस्सेदारी है।
नागरिकों का फूटा गुस्सा – अब बस ! ::::
स्थानीय लोगों ने पालिका आयुक्त अनमोल सागर से मांग की है कि सभी शौचालयों की जांच हो,शुल्क की दर बोर्ड पर लिखी जाए,हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए,भ्रष्ट अधिकारियों को उनके मूल पद पर भेजा जाए, वरना जनता अब सड़कों पर उतरने को तैयार है। शहर पूछ रहा है – शौचालय जनता का है या दलालों का ?
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