राजस्थानी समाज कांग्रेस से नाराज

एलएलसी के चुनाव में नकारा प्रतिनिधित्व 

मुंबई- महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) की 2 सीटों के लिए 16 जुलाई को होने वाले चुनाव में कांग्रेस व्दारा राजस्थानी समाज को प्रतिनिधित्व न दिए जाने से मारवाड़ी समाज के लोगों, व्यापारी वर्ग समेत समूचे हिंदीभाषियों में खासा नाराजगी व्याप्त है। कांग्रेस ने इन 2 सीटों के लिए शरद रणपिसे और डॉ. वजाहत मिर्जा को उम्मीदवारी दी है। राजस्थानी समाज से संबद्ध प्रदेश कांग्रेस की महासचिव सुमन अग्रवाल का नाम भी उम्मीदवारी के लिए आगे चल रहा था, इससे राजस्थानी समाज के लोगों सहित सभी हिंदीभाषियों में भारी प्रसन्नता की लहर थी। लेकिन न जाने क्या खेल हुआ कि राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण की सिफारिश के बावजूद यह नाम दिल्ली में बैठे पार्टी के आकाओं ने उड़ा दिया। इससे समूचा राजस्थानी व हिन्दीभाषी समाज आहत है। 

     कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर पिछले करीब 15 साल से सक्रिय एवं विविध सामाजिक गतिविधियों से जुडी सुमन अग्रवाल को एमएलसी बनाने की मांग को लेकर राजस्थानी व हिंदीभाषियों के विविध संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में अशोक चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा से मिला था, जिनमें भारत मर्चेंट चेंबर्स के ट्रस्टी राजीव सिंघल, माहेश्वरी मंडल, ठाणे  के अध्यक्ष राजेंद्र तापड़िया, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय उपमहामंत्री राजेंद्र अग्रवाल, भारत मर्चेंट्स चेंबर के सचिव रतन पोद्दार, फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र उत्तम जैन, माहेश्वरी समाज के ठाणे जिला अध्यक्ष व चार्टर्ड एकाउंटेंट एल.वी.राठी, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की मुंबई शाखा के चेयरमेन सुरेश चोखानी, मारवाड़ी युवा मंच की सचिव सुनीता मित्तल, राजस्थान सेवा संघ के राजेश शर्मा, श्रवण अग्रवाल, रामप्रकाश अग्रवाल, उषा पित्ती, नीलम डिडवानिया सहित अन्य कई लोगों का समावेश था। प्रतिनिधिमंडल ने इस दौरान उनके समक्ष अपने समाज की हो रही उपेक्षा बताते हुए इस बार न्याय दिए जाने की गुजारिश की थी। उनके इस बाबत सकारात्मक आश्वासन दिए जाने से समाज के लोगों में बड़ी ही उम्मीद की किरण जगी थी। परंतु अचानक सुमन अग्रवाल का टिकट कट जाने से वे अब खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस के इस तरह के रवैए से आहत राजस्थानी समाज के लोगों का कहना है कि हमने तो इस आशा के साथ अशोक चव्हाण और मिलिंद देवड़ा के पास अपनी बात रखी थी कि कांग्रेस सर्व धर्म समभाव वाली पार्टी है और यहां हमें किसी भी तरह के जाति, धर्म, प्रांतवाद के भेदभाव के बिना न्याय मिलेगा। लेकिन उम्मीदवारी देने में बरते गए सौतेले रवैए से अब यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि वह भी प्रांतवाद, जाति व धर्म के दायरे में सिकुड़ कर रह गई है, तभी तो इन्हीं समीकरणों के आधार पर टिकट बंटवारा किया गया है। निश्चित रूप से कांग्रेस की इस झांसेबाजी से राजस्थानी, हिन्दीभाषी समाज समेत व्यापारी वर्ग कांग्रेस से और दूर होता चला जाएगा। 
  कांग्रेस के इस रवैए पर भारत मर्चेंट चेंबर्स के सचिव राजीव सिंघल ने कहा है कि मौजूदा समय में जहां व्यापारी वर्ग भाजपा से नाराज चल रहा है, यदि इस स्थिति में उनके पक्ष में निर्णय लिया जाता, तो कांग्रेस के लिए इस वर्ग को भी अपना बनाने में सहायक साबित होता। माहेश्वरी मंडल, ठाणे  के अध्यक्ष राजेंद्र तापड़िया का कहना है कि सुमन अग्रवाल जैसी स्वच्छ छवि वाली कांग्रेस नेता को एमएलसी का अवसर न देकर पार्टी ने समाज के साथ काफी अन्याय किया है। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के राष्ट्रीय उपमहामंत्री राजेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि क्या कांग्रेस सिर्फ दलितों और मुस्लिमों की पार्टी है ? तो फिर वह सर्वधर्म समभाव की बात करना बंद कर दे। भारत मर्चेंट्स चेंबर के सचिव रतन पोद्दार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से अपील की है कि वे जात-पांत को नहीं, संगठन में समर्पित ढंग से काम करने वालों को तवज्जो दें। माहेश्वरी समाज के ठाणे जिला अध्यक्ष व चार्टर्ड एकाउंटेंट एल.वी.राठी ने कहा है कि कांग्रेस ने राजस्थानी समाज को विधान  परिषद के लिए प्रतिनिधित्व न देकर बहुत ही गलत निर्णय लिया है। इससे व्यापारी वर्ग कांग्रेस से और दूर हो जाएगा। अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की मुंबई शाखा के चेयरमेन सुरेश चोखानी ने कहा है कि अशोक चव्हाणजी की छवि इनक्लूसिव पॉलिटिक्स की है, इसलिए हमें उनसे बड़ी उम्मीद थी, लेकिन इस बार भी निराशा ही हाथ लगी। मारवाड़ी युवा मंच की सचिव सुनीता मित्तल ने बेहद नाराजगी जताते हुए कहा है कि हमें कांग्रेस से इस तरह के धोखेबाजी की उम्मीद नहीं थी। संगठन में तहेदिल से काम करने वाली महिला सुमन अग्रवाल को आज तक पार्टी ने कोई अवार्ड नहीं दिया, इससे औरों का भी काम करने का उत्साह कम हो जाता है। राजस्थान सेवा संघ के राजेश शर्मा ने कहा है कि जिन्हें पार्टी संगठन ने प्रतिनिधित्व दिया है, अब तो वे संगठन के लिए ज्यादा वक्त दें और व्यापारी समुदाय की भी मदद करें। 

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट